‘हमारे यहां प्राचीन काल से ही ज्ञान के भंडार उपनिषदों की चर्चा होती आयी है। उसमें से एक है प्रश्नोपनिषद। इसी तर्ज पर लेखक आशुतोष कुमार सिंह ने डॉ. जे एल मीना से बातचीत कर स्वास्थ्य से जुड़े तमाम पक्षों को समझने की कोशिश की है। इस किताब को मैं स्वास्थ्योपनिषद कहना चाहता हूं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे और भी लोगों पर इस तरह की पुस्तक आनी चाहिए।’ यह उद्गार पद्मभूषण से हाल ही सम्मानित प्रख्यात पत्रकार रामबहादुर राय के हैं। वे दिल्ली के
कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में क्वालिटी हेल्थकेयर पर प्रकाशित पुस्तक डॉ. जे एल मीनाः पीएचसी से एनएमसी के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।श्री राय ने इस पुस्तक को हिंदी में अपनी तरह की पहली पुस्तक बताया और कहा कि कोरोना काल के बाद स्वास्थ्य को लेकर सजगता आयी है और जनअभियान बनता जा रहा है। यह पुस्तक उसी दिशा में एक मजबूत कदम है। मरीजों की चिंता करने वाले कई डॉक्टर समाज में हैं और उनको लेकर भी पुस्तकें आनी चाहिए।
बतौर मुख्य अतिथि और प्रवासी लेखक डॉ. तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य में क्वालिटी कल्चर डेवेलप करने के लिए सरकार को पहले सख्त नियम बनाने होंगे। उन्होंने स्वस्थ राजनीतिक व्यवस्था बनाने पर भी जोर दिया, इस संदर्भ में उन्होंने ब्रिटेन के हेल्थ सिस्टम की भी चर्चा की।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ के संयुक्त सचिव डॉ. आलोक कुमार मिश्र ने कहा कि यह किताब स्वास्थ्य इकोसिस्टम में क्वालिटी को समझने में मदद करती है।
वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीच्युट के निदेशक प्रो. राजकुमार ने कहा कि मरीज को सहजता से जल्द हेल्थकेयर मिलना बहुत जरूरी है। अगर डाइट, रहन-सहन, एक्सरसाइज पर फोकस हो तो 80 से 90 फीसद रोग को काबू किया जा सकता है।
एनएबीएल के निदेशक डॉ. पंकज जौहरी ने क्वालिटी हेल्थकेयर में डॉ. जे.एल.मीना के योगदान को रेखांकित कहा कि वे क्वालिटी मैन ऑफ इंडिया है। उनका कहना था कि क्लिनिकल क्वालिटी के साथ-साथ डायग्नोसिस क्वालिटी पर भी फोकस किए जाने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादातर क्लिनकल फैसले डायग्नोस्टिक रिपोर्ट के आधार पर ही लिए जाते है।
डॉ. जे. एल. मीना ने कहा कि क्वालिटी केयर को लेकर इस किताब का आना सपना जैसा है। उन्होंने कहा कि खुद के लिए आप जैसी उच्च गुणवत्ता वाली सुविधा चाहते हैं, वैसी सुविधा आपको भी अपने कार्यक्षेत्र में देना चाहिए।
अपनी बात करते हुए पुस्तक के लेखक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि संघर्ष से निकलकर ही मुझे भी स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने का जुनून चढ़ा। यही संघर्ष डॉ. मीना का भी रहा और उसे उजागर करने के मकसद से ही इस किताब को तैयार करने की ओर बढ़ने का इरादा बना।
विषय प्रवेष करते हुए धीप्रज्ञ द्विवेदी ने हेल्थ के गुजरात मॉडल की चर्चा की और पीएचसी स्तर से ही क्वालिटी पर ध्यान दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की उपलब्धि रहे, कम कीमत पर सटीक जांच और दवा मिले, यहीं से क्वालिटी केयर आरंभ हो जाता है।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत शांभवी प्रकाशन के प्रकाशक और पत्रकार संजीव कुमार ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन आशुतोष कुमार सिंह ने किया।
मालूम हो कि स्वस्थ भारत के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह लिखित डॉ. जे.एल.मीना: पीएचसी से एनएमसी तक के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण का प्रकाशन क्रमशः शांभवी और सारव प्रकाशन ने किया है।
गणतंत्र दिवस के पूर्व संध्या पर आयोजित इस आयोजन का शुभारंभ प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका श्रीमती सुमीता दत्ता के सरस्वती वंदना से हुई। मंच संचालन वरिष्ठ गीतकार व प्रस्तोता मनोज सिंह भावुक ने किया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में डॉक्टर, पत्रकार एवं नीति नियंता उपस्थित रहे।
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