हिमालय हिंद महासागर राष्ट्र समूह (HHRS), राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच, हंसराज कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), हिमालयन स्टडीज़, और नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कंफ्लिक्ट रिज़ोलूशन (जामिया मिल्लिया इस्लामिया) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य शुभारंभ हुआ।
इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करना है। उद्घाटन
उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही संस्कृति और मूल्यों को लेकर चलने वाला देश रहा है, जहाँ चरित्र और धर्म सर्वोपरि माने जाते हैं। उन्होंने मानवता की सर्वोच्च सीमा को "दूसरों के लिए जीना और उनकी सेवा करना" बताया और कहा कि भारत अहिंसा को परम धर्म मानने वाला देश है, जो सदैव संपूर्ण समाज के कल्याण के लिए कार्य करता रहा है और आगे भी करता रहेगा।
सम्मेलन का उद्घाटन और मुख्य विचार
उद्घाटन समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और अतिथि सत्कार के साथ हुई। मुख्य अतिथि, भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री श्री तोखन साहू ने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों श्री गोलोक बिहारी राय और श्री विक्रमादित्य सिंह को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत तेजी से प्रगति कर रहा है और आज वैश्विक मंच पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज दुनिया भारत को गंभीरता से ले रही है और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में उसकी सलाह को प्राथमिकता दी जाती है।
भारतीय संस्कृति की विशेषता: प्रो. मज़हर आसिफ
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक विविधता पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की आधारशिला 'वसुधैव कुटुंबकम्' और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' जैसे सिद्धांतों पर टिकी हुई है, जो सामाजिक सौहार्द्र और वैश्विक एकता का मूल स्तंभ हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहाँ विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का सम्मान किया जाता है, और इसी समावेशिता के कारण यह देश सदियों से एकजुट बना हुआ है। उनके विचारों ने सम्मेलन में उपस्थित विद्वानों, शोधार्थियों और छात्रों को प्रेरित किया और भारतीय संस्कृति की व्यापकता को रेखांकित किया।
अन्य प्रमुख वक्ताओं के विचार
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) आर.एन. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र की सेवा सर्वोपरि है और प्रत्येक नागरिक को अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हाल के वर्षों में लोग विदेशों में बसने को प्राथमिकता देने लगे हैं, लेकिन भारत की आत्मीयता और सांस्कृतिक विशेषताएँ अद्वितीय हैं, जो कहीं और नहीं मिल सकतीं।
वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कोरोना महामारी के दौरान भारत द्वारा अपनाई गई पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की आयुर्वेदिक और योग पद्धतियों को अब वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर पूरे विश्व में सराही जा रही है, और यह भारत के ज्ञान-विज्ञान के गौरव को पुनः स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो रही है।
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच और हिमालय हिंद महासागर राष्ट्र समूह का योगदान
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री विक्रमादित्य सिंह ने संगठन की विस्तृत जानकारी देते हुए इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रवाद और सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. रितेश कुमार राय ने हिमालय हिंद महासागर राष्ट्र समूह के उद्देश्यों और गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह संगठन भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
तकनीकी सत्र और शोध पत्र प्रस्तुतियाँ
सम्मेलन के पहले दिन दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की गई:
1. 'भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच ऐतिहासिक संपर्क' – इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. राजीव नयन ने की, और प्रमुख वक्ताओं में डॉ. राजीव रंजन, डॉ. ध्रुबज्योति भट्टाचार्जी, डॉ. ज्योतिरूपा राउत, डॉ. पुम खान पौ और डॉ. सोफना श्रीचंपा शामिल रहे।
2. 'भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच सांस्कृतिक संपर्क' – इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. चंद्राचूड़ सिंह ने की, जबकि प्रमुख वक्ताओं में डॉ. राकेश कुमार, डॉ. प्राची अग्रवाल, डॉ. लिपी घोष और डॉ. संपा कुंडू शामिल थे।
इन सत्रों में देश-विदेश के विशेषज्ञों और शोधार्थियों ने कुल 32 शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस सम्मेलन में इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, लाओस, सिंगापुर और थाईलैंड समेत कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और समापन
सम्मेलन के पहले दिन का समापन भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया की साझा सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने वाले विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में दोनों क्षेत्रों की परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि को मनमोहक प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शाया गया।
सम्मेलन में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में गोलोक बिहारी राय, विरेन्द्र कुमार चौधरी, अरुण कुमार, डॉ. एम. रहमतुल्लाह, प्रो महरुख मिर्ज़ा, राजेश महाजन, प्रो. राधेश्याम शर्मा, प्रो. एन.पी. दीक्षित, प्रो. गुरमीत सिंह, प्रो. भागीरथी सिंह, मयंक शेखर समेत बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, शिक्षाविद, पत्रकार और शोधार्थी उपस्थित थे।
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