गीतांजलि इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा आयोजित संत शिरोमणि सूरदास महोत्सव का पांचवां संस्करण भक्ति, कला और संस्कृति को समर्पित होगा। यह दो दिवसीय भव्य आयोजन 30 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली के सी.डी. देशमुख ऑडिटोरियम, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में शाम 6:30 बजे से आरंभ होगा। महोत्सव का दूसरा चरण 6 जनवरी 2025 को मथुरा स्थित सूरदास साधना स्थली में
आयोजित किया जाएगा।यह महोत्सव 16वीं शताब्दी के भक्ति कवि संत सूरदास की आध्यात्मिक और कलात्मक विरासत को श्रद्धांजलि देगा। इस आयोजन में भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत के माध्यम से सूरदास जी के भक्ति भाव और रचनात्मकता का उत्सव मनाया जाएगा।
कार्यक्रम की शुरुआत कथक नृत्यांगनाओं, कार्तिका उन्नीकृष्णन और दीक्षा रावत, की युगल प्रस्तुति से होगी। ये दोनों पंडिता उमा डोगरा जी की शिष्याएँ हैं और अपने प्रदर्शन के जरिए कथक के महानायक पंडित दुर्गा लाल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी।
इसके पश्चात भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना विदुषी रमा वैद्यनाथन अपनी नृत्यकला की प्रस्तुति देंगी। इसके साथ ही कथक की विदुषी रानी खानम संत सूरदास की रचनाओं पर आधारित विशेष प्रस्तुतियां पेश करेंगी।
महोत्सव की शाम का समापन भरतनाट्यम और कथक की अद्वितीय जुगलबंदी के साथ होगा। रमा वैद्यनाथन और रानी खानम की यह विशेष प्रस्तुति संत सूरदास की पारंपरिक रचनाओं को जीवंत करेगी और उनकी अविस्मरणीय विरासत को एक नई ऊंचाई प्रदान करेगी।
संत सूरदास भक्ति आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उनके कृष्ण भक्ति पर आधारित भजन और काव्य, विशेष रूप से "सूर सागर," ने उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन को एक नई दिशा दी। उनकी रचनाएँ आज भी आध्यात्मिक और साहित्यिक उत्कृष्टता का प्रतीक मानी जाती हैं।
संत शिरोमणि सूरदास महोत्सव का उद्देश्य उनकी इसी अनमोल विरासत को शास्त्रीय कला के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना है।
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