आईआईटी मंडी ने गीता जयंती के अवसर पर ‘गीतानुशीलनम 2024’ का किया आयोजन

आईआईटी मंडी ने गीता जयंती के पावन अवसर पर ‘गीतानुशीलनम 2024’ कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन भगवद्गीता के अवतरण की स्मृति में किया गया, जो एक कालातीत ग्रंथ है और सहस्राब्दियों से मानवता को प्रेरणा देता आ रहा है। आईकेएसएमएचए केंद्र (इंडियन नॉलेज सिस्टम एंड मेंटल हेल्थ एप्लिकेशंस सेंटर) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य गीता की समकालीन चुनौतियों को हल करने और नैतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देने में

प्रासंगिकता को उजागर करना था। ‘गीतानुशीलनम’ कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ‘गीता’ (भगवद्गीता) और ‘अनुशीलनम’ (मनन और अभ्यास) की भावना को अभिव्यक्त करना भी था। यह कार्यक्रम गीता के उपदेशों को दैनिक जीवन में समाहित करने पर बल देता है, जिसमें धर्म का पालन करना, भक्ति योग के सिद्धांतों का अनुसरण करना, और भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाकर शांति, उद्देश्य और मुक्ति प्राप्त करने का मार्ग अपनाना शामिल है।

आईकेएसएमएचए केंद्र, जो भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-विकास के लिए करता है, गीता को आत्म-स्थिरता, भावनात्मक संतुलन और नैतिक नेतृत्व के विकास के लिए एक प्रकाशस्तंभ मानता है। गीता जयंती मनाकर, केंद्र का उद्देश्य सकारात्मक मानसिकता को प्रोत्साहित करना और भारतीय ज्ञान पर आधारित सार्वभौमिक मूल्यों के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवद गीता के अध्याय 15 के भावपूर्ण पाठ से हुई, जिसके बाद ज्ञान के प्रकाश से अज्ञान के नाश का प्रतीक दीप प्रज्वलन समारोह हुआ। प्रस्तुतियों में गीता महात्म्य का पाठ भी शामिल था, जो इस अद्वितीय पवित्र ग्रंथ के आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित करता है। इसके साथ ही मनमोहक संगीत प्रस्तुतियां, सांस्कृतिक नृत्य और योग प्रदर्शन भी हुए, जिन्होंने भगवद गीता की शिक्षाओं को रचनात्मक रूप से प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम में एक छाया नाटक भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें प्रकाश और अंधकार के अद्भुत खेल के माध्यम से गीता के दार्शनिक सार को जीवंत किया गया। इसके अतिरिक्त, गीता अनुसंधानम 2024 की वीडियो प्रस्तुति भी दिखाई गई, जिसमें बताया गया कि कैसे हजारों बच्चों ने पिछले कुछ हफ्तों में भगवद गीता आधारित प्रतियोगिताओं में उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपनी रचनात्मकता और गीता की शिक्षाओं की समझ का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, आईपीएस सौम्या सांबशिवन ने इस पहल और शिक्षा के साथ संस्कृति के मेल पर प्रशंसा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि, “भगवद गीता मानसिक कल्याण और आत्म-खोज के लिए एक गहन मार्गदर्शक है। शिक्षक इसके माध्यम से छात्रों को जीवन-नाशक व्यसनों को त्याग कर कृष्ण चेतना के जीवन-दायक सिद्धांतों की ओर प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भक्ति के बीज बोकर, वे नैतिक और मानवीय मूल्यों को बनाए रखते हुए धर्म के सार का प्रसार करते हैं।”

उन्होंने गीता की स्थायी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए भगवत गीता के छंद 9.31 का उद्धरण दिया, ‘ना मे भक्तः प्रणश्यति‘ (मेरा भक्त कभी नष्ट नहीं होता) और 18.66 का अंतिम उपदेश, ‘सर्व धर्मान परित्यज्य‘, जो आत्मसमर्पण के माध्यम से मुक्ति पर बल देता है। महिलाओं की आत्मबल पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा, “विभूति योग (अध्याय 10) में, भगवद गीता महिलाओं को दिव्य ऊर्जा का प्रतीक मानकर उनकी प्रशंसा करती है, जो धर्म का पालन करके समाज को बदलने में सक्षम हैं।”

इस सम्पूर्ण आयोजन में मंडी जिले के 2,000 से अधिक स्कूली बच्चों ने भाग लिया, जिनमें भगवद गीता क्विज, श्लोक पाठ, निबंध लेखन और कला प्रतियोगिता जैसी अनेक प्रतियोगिताएं शामिल थीं। शुक्रवार के कार्यक्रम में 700 छात्रों ने भाग लिया। उत्सव में भाग लेने वाले स्कूलों में शामिल थे - माइंड ट्री स्कूल, जीएसएसएस बग्गी, स्वामी विवेकानंद स्कूल, बॉयज स्कूल जीएसएसएस, प्राइमरी स्कूल, गल्र्स स्कूल जीएसएसएस, एसवीएम, केवी स्कूल, डीएवी खालियार, आईटीआई, तक्शिला स्कूल, हिलॉक स्कूल, डीएवी नेरचैक, जीएसएसएस कटौला, जीएसएसएस कमांड, जीएसएसएस कथिंडी, यूएसवी स्कूल, जीएसएसएस तिहरी, जीएसएसएस निस्सू, जीनियस स्कूल और इंडस ग्लोबल स्कूल।

दिन का समापन पुरस्कार समारोह के साथ हुआ, जिसमें युवा प्रतिभागियों की उत्कृष्टता को पहचान दी गई और आधुनिक समय में गीता की शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर विचार किया गया।

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