देश में जन्मे प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण का भाव रखना ही चाहिए और यही सच्ची और शुद्ध राष्ट्र सेवा है। राष्ट्र जैसे छोटे से शब्द में विशाल, असीमित और बहुआयामी अर्थ और कर्तव्य बोध का सार समाहित हैं, इसलिए इस सार को आत्मसात करना अति आवश्यक है। देश के प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र प्रगति के लिए आवश्यक होता है कि वो जिस दशा में है, जिस परिस्थिति में है, जहां है, सकारात्मक सोच के साथ राष्ट्र को आगे बढ़ाने में अपना
योगदान दें, अपने मूल कर्तव्य को सही तरीके से पहचाने। मनुष्य का जीवन अपने और परिवार के साथ-साथ समाज और राष्ट्र क लिए भी समर्पित रहना चाहिए। यदि प्रत्येक व्यक्ति में यह सोच हो, तो निश्चित रूप से एक बेहतर परिवार एवं समाज के साथ-साथ संगठन, सपनों के भारत का निर्माण भी संभव है। इसको मूर्त रूप देना हम सब की जिम्मेदारी है, यही हमारा राष्ट्र धर्म, संगठन धर्म है। सामाजिक संरचना को मजबूत बनाए रखना हमारा पुनीत, परम और अहम कर्त्तव्य है। इसके बिना मानव जीवन का कोई सार नहीं है, मानव जीवन अधूरा है। हम सभी को समाज की मजबूती का संकल्प साथ मिलकर लेना चाहिए, तब जाकर एक उत्तम राष्ट्र की परिकल्पना को आकार देकर उसे साकार किया जा सकता है। इसी संदेश के समायोजन के साथ संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा, समर्पण के पंचसूत्र को आत्मसात करके भारत विकास परिषद का दो दिवसीय 31वां अधिवेशन सम्पन्न हुआ।पंजाब के फगवाड़ा का लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में राष्ट्र की सेवा को परमार्थ मानते हुए, "स्वस्थ समर्थ संस्कारित भारत" की परिकल्पना को जागृत करते हुए, "भारत विकास परिषद" के अद्भुत, अविश्वस्नीय, विहंगम अधिवेशन का गवाह बना। दो दिन चले अधिवेशन में परिषद के संकल्प को अगले पड़ाव में ले जाने पर सार्थक चर्चा को अंजाम दिया गया। देश में सामाजिक समरस्ता को बढ़ावा देने, चिकित्सा सुविधाएं निर्धन तक पहुंचाने, शिक्षा के ज्ञान का उजियारा घर-घर पहुंचाने, मलिन बस्तियों में रहने वाली मां-बहनों को एनिमियां से कैसे बचाएं, राष्ट्र निर्माण में संस्था की भूमिका क्या हो, संस्था की दशा-दिशा कैसी हो, संस्था को देश के अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंचाए, देश के हर व्यक्ति बेहतर कैसे बनाए, देश के हर प्रांत में बेहतर समाज की कल्पना को कैसे जमीन पर उतारे, देश के हर व्यक्ति, देश के हर परिवार को संस्कारित कैसे करें, जैसे विषयों पर भारत विकास परिषद ने विस्तार से चर्चा को मूर्त रुप दिया। देश में परिषद के 10 क्षेत्रों की गत 2 वर्षों के कार्यों की समीक्षा भी विस्तार से की गई। साथ ही अधिवेशन में जो विचार उभरकर सामने आएं हैं, जो भी फैसले लिए गए हैं, उसपर चिंतन मनन कर सर्वसहमति से देशभर में जल्द लागू किया जाएगा।
अपने समापन वक्तव्य में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुरेश जैन जी ने संगठन के संकल्प को दोहराया और बताया कि इंसान को दोहरे चरित्र पर काम करना चाहिए। कुंठा से भरा व्यक्ति बेहतर समाज नहीं बना सकता। परिवार के संस्कारित होने से संगठन संस्कारित होता है। लोगों को अपने परिवार से संस्कारित करने की शुरुआत करनी चाहिए। हमारा व्यक्तित्व कैसा है, कैसा बनना चाहिए इस विषय पर विचार करना चाहिए। संगठन के कार्यकर्ताओं को अपने अंदर झांकना चाहिए। इंसान को पूज्य बनना होगा तब जाकर परिवार और समाज में पूजा होगी, पूजनीय बनेंगे। महिलाओं को आगे बढ़ाएंगे तब जाकर समाज में बदलाव आएगा। समर्पण से बेहतर समाज का निर्माण होगा। शाखा के काम काज पारदर्शी बनाने होंगे। संगठन को श्रेष्ठ कार्यकर्ता बनाने होंगे, श्रेष्ठ कार्यकर्ता श्रेष्ठ कार्यक्रम करेगा। छोटी छोटी बातों पर विचार करके हर कार्यकर्ता में श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण करना होगा। तब जाकर एक श्रेष्ठ संगठन का निर्माण होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि अधिवेशन से संकल्प लेकर जाएं - हम अपने परिवार को संस्कारित परिवार, आदर्श परिवार, मॉडल परिवार बनाएंगे। अपने ऊपर काम काम करें। तब जाकर समाज सुधरेगा। कार्यक्रम में राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुरेश जैन जी ने लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यहां की गई सार्थक चर्चा संकल्प के तौर पर आगे बढ़ेगी और सेवा, संस्कार जो कि हमारा मूल ध्येय है उसको समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाएंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत में आशीर्वचन पदमश्री बाबा सेवा सिंह जी द्वारा दिया गया। देश के कई कोनो से आए लोगों ने पूजनीय पद्मश्री संत बाबा सेवा सिंह जी के आशीर्वचन को ध्यान से सुना। पूजनीय पद्मश्री संत बाबा सेवा सिंह जी ने कहा कि भारत विकास परिषद पंच सूत्र को लेकर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हर धर्म अच्छे कर्म करने का उपदेश देता है। इंसान को अच्छे कर्म करने चाहिए। पर्यावरण को दूषित नहीं करना चाहिए। इंसान सब कुछ बना ले रहा है पर पानी और हवा नहीं बना पाया। इंसानों ने पहाड़ काट दिए, जंगल काट दिए, पानी को दूषित कर दिया इसे खत्म करना होगा। उन्होंने पर्यावरण का ख्याल रखने का उपदेश देते हुए कहा कि पंजाब में मिनी जंगल बना कर पर्यावरण को ठीक रखने का काम लगातार चल रहा है। समाज परोपकारी बनना चाहिए। पर्यावरण को शुद्ध करने का काम हम सब को मिलकर करना होगा।
लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर और राज्यसभा सांसद डॉक्टर अशोक मित्तल जी भारत विकास परिषद द्वारा 31वें अधिवेशन के लिए लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी को चुनने पर हर्षित दिखे और आगे भी परिषद के साथ खड़े रहने और सेवा करने का वादा किया। उन्होंने परिषद के ध्येय को सार्थक बताते हुए कहा कि जो 1963 से भारत विकास परिषद देश को विकसित करने के लिए कर रहा है उस काम को प्रधानमंत्री मोदी विकसित भारत के नारे के साथ नए सीरे से लगातार कर रहे हैं।
भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायमूर्ति उच्चतम न्यायालय श्री आदर्श कुमार गोयल जी ने पंजाब की धरती को त्याग और बलिदान की धरती बताते हुए पंजाब के बलदानियों और भारत के शहीदों को याद किया। साथ ही भारत विकास परिषद के ध्येय को लोगों से साझा करते हुए कहा कि भारत विकास परिषद देश भर में संस्कार और सेवा कार्यों में जुटी है।
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