दुनिया पर मंडरा रहा है बड़े वित्तीय संकट का खतरा

अर्थशास्त्री और लेखक शनमुगनाथन. एन ने दावा किया है कि दुनिया पर एक बहुत बड़े वित्तीय संकट का खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा 2007-09 के दौरान के हाउसिंग बबल और उस कारण उत्पन्न हुए वित्तीय संकट से भी कई गुना ज्यादा बड़ा होगा। अपने आंकड़ों और शोध परिणामों के आधार पर उन्होंने कहा अमेरिकी डॉलर की बुनियाद भुरभूरी है और कभी भी ढह सकती है। शनमुगनाथन ने दुनिया को फिर से स्वर्ण मानक (गोल्ड स्टैंडर्ड) को अपनाने की सलाह दी है।


पब्लिक पॉलिसी थिंकटैंक सेंटर फॉर सिविल सोसायटी द्वारा कॉंस्टिट्यूशन क्लब में आयोजित पुस्तक “आरआईपी यूएसडीः 1971-202X.. एंड द वे फॉरवर्ड” के विमोचन के दौरान किताब के लेखक शनमुगनाथन एन ने कहा कि अमेरिकी सरकार एक बबल पर पर्दा डालने के लिए लगातार नई मुद्रा छापकर एक के बाद एक कई बड़े बबल तैयार करती जा रही है और इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। शनमुगनाथन ने लोगों से भी करेंसी की बजाए अधिक से अधिक मात्रा में सोना रखने की सलाह दी।


विमोचन के दौरान उपस्थित लोगों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए स्विश निवेशक और ग्लूम, बूम एंड डूम के संपादक डा. मार्क फेबर ने कहा कि इस बात पर हम सभी सहमत है कि हम एक बड़े आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त व्यवस्था वास्तविक अर्थव्यवस्था से आकार में कई गुना ज्यादा बड़ी हो गई है और यह टिकाऊ नहीं है। अर्थशास्त्री क्रिस्टोफर लिंगल ने कहा कि इस पुस्तक में उठाए गए प्रश्नों को गंभीरता से लेने और इस संदर्भ में उपयुक्त कदम उठाने की जरूरत है।

विमोचन के दौरान एक पैनल परिचर्चा का आयोजन भी किया गया जिसमें लेखक शनमुगनाथन एन. के अलावा सीसीएस के फाउंडर प्रेसिडेंट और इंडियन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डा. पार्थ जे शाह, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर आर के अमित ने अपने विचार व्यक्त किये। सीसीएस के सीनियर फेलो कुमार आनंद ने परिचर्चा का विषय परिवर्तन किया। सीसीएस के सीईओ डा. अमित चंद्र ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

No comments:

Post a Comment